नमस्कार दोस्तों...
मनुष्य किसी भी कार्य को करने से पहले उस पर चिंतन अवश्य करता है और यह तो उस बात पर निर्भर करता है कि वह कार्य उसके जीवन में कितनी महत्वता रखता है अर्थात किसी महत्वपूर्ण निर्णय को लेने से पहले, वह अनिवार्य रूप से चिंतन मनन अवश्य करता है और यह उचित भी है लेकिन अनिवार्य रूप से अधिक किया गया चिंतन, ही OVER-THINKING कहलाता है।
आज हम बात करेंगे अत्यधिक चिंतन/सोचना
चिंतन :- किसी महत्वपूर्ण विषय पर किया जाता है, इसकी अवधि भी ज्यादा होती है।
सोचना :- प्रायः किए जाने वाले कार्यों के लिए सोचना पड़ता है।
परंतु कुछ लोग रोजमर्रा से जुड़े कार्यों को करने के लिए भी बहुत सोचते हैं और सामान्य विषय पर भी चिंतन शुरू कर देते हैं जिसके बहुत से कारण हो सकते हैं।
कुछ कारण निम्नलिखित हैं
- ज्ञान की कमी / उस विषय में कम जानकारी
- बेरोजगारी
- अकेलापन
- आदत
- बीते हुए कल का अफसोस
- आने वाले कल का डर
- आत्मविश्वास की कमी
- उत्सुकता / जिज्ञासा
- खयाली पुलाव बनाना
लेकिन कुछ परिस्थितियों में मनुष्य को चिंतन करने का समय नहीं मिलता जहां पर हमें कुछ ही क्षणों में निर्णय लेना होता है वहां पर काम आता है अनुभव, ज्ञान और अनुमान।
इससे बचने के उपाय :-
- अपने जीवन में व्यस्त रहें।
- कुछ नया सीखते रहें।
- बीते हुए कल का अफसोस और आने वाले कल के डर को छोड़कर वर्तमान में जीएं, जिस वर्तमान से आपके भविष्य का निर्माण होगा।
निष्कर्ष :-
अधिकतर किसी ना किसी के साथ भूतकाल में कुछ ना कुछ ऐसा घटित हो चुका है जिससे उन्हें आज भी अफसोस होता है और गहन चिंतन में लीन हो जाते हैं।
काश! मैं ऐसा करता/नहीं करता तो ऐसा होता, लेकिन उससे हमें अनुभव लेना चाहिए।
लेकिन कभी-कभी, कहीं-कहीं पर अत्यधिक चिंतन भी फायदा देता है ये आज तक जितने आविष्कार हुए हैं सारा श्रेय इसी को तो जाता है कुछ नया करने के लिए हमेशा सोचते रहना।
आप इस बारे में क्या सोचते हैं? आप अपने कुछ विचार कमेंट बॉक्स के माध्यम से रख सकते हैं जो हमारे लिए सराहनीय होगा।
"बीती बातों को सोचते रहना और भविष्य में कुछ नया करने के लिए केवल सपने ही देखना यह उचित नहीं है"
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