पर्यावरण दिवस

पर्यावरण दिवस 

पर्यावरण दिवस
मानव और प्रकृति का संबंध अनादिकाल से चला आ रहा है। दोनों एक दूसरे पर अवलंबित हैं। तथा एक दूसरे के पोषक हैं। वृक्ष प्रकृति के अनुपम उपहार हैं। वृक्ष अपने संरक्षण के लिए मनुष्य पर आधारित हैं, तो मनुष्य अनेक वस्तुओं के लिए वृक्षों पर।
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पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?

पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्रीय महासभा द्वारा सन् 1972 में की गई। मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के पहले दिन, जिसके परिणाम स्वरूप मानव बातचीत और पर्यावरण के एकीकरण पर चर्चा हुई और सन् 1974 में "ओन्ली वन अर्थ" थीम के साथ प्रथम पर्यावरण दिवस मनाया गया और 1974 के बाद से यह प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है?

आज बढ़ती जनसंख्या के कारण आवास की समस्या को हल करने तथा औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने के लिए वनों की कटाई की जा रही है। जिसके कारण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और यह एक मुख्य  कारण है जिसके फलस्वरूप पर्यावरण  प्रदूषित होता जा रहा है।

वर्षा अनिश्चित हो गई है। भूमि की उर्वरा शक्ति में लगातार कमी होती जा रही है। तथा जीव जंतु की अनेक दुर्लभ प्रजातियां विनाश की कगार पर हैं। अनेक प्रकार की उपयोगी औषधियां अब दुर्बल हो गई हैं। वृक्षों की कटाई के कारण ही आज रेगिस्तान का प्रसार होता जा रहा है। तथा जीने के लिए आवश्यक से दवाइयों का नितांत अभाव हो गया है।

पर्यावरण का अर्थ:-

यदि हम पर्यावरण शब्द का संधि विच्छेद करते हैं।
यथाः 
परि + आवरण = पर्यावरण

परि का अर्थ होता है - चारों ओर से
आवरण का मतलब होता है - ढका हुआ
अर्थात चारों ओर से घिरे आवरण को पर्यावरण कहते हैं।

World Environment day is also called Eco Day

महत्व:-

  • पर्यावरण के प्रति जागरूकता।
  • वृक्ष प्रकृति के अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। वृक्षों ने मानव सभ्यता और मानवता को सदैव सहायता पहुंचाई है इसलिए मानव का कर्तव्य है कि वृक्षों की कटाई पर अंकुश लगाए और वृक्षों का संरक्षण करें।
  • फिर भी यदि जितने वृक्ष काटे जाएं, उसी अनुपात में नए वृक्ष भी लगा दिए जाएं तो स्थिति इतनी भयानक नहीं रहेगी।
  • अतः प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अधिक से अधिक वृक्ष लगाए।

विशेष:-

परंतु आज हम एक बहुत बड़ी समस्या से गुजर रहे हैं जिसका कारण कोरोना वायरस है, परंतु इसकी वजह से प्रकृति में इसके सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। मनुष्य घर पर ही बैठा है, वाहनों का उपयोग बंद है जिसकी वजह से वायु शुद्ध हो गई है और भी अनेक उदाहरण हैं।
और हम इस स्थिति से भी सीख सकते हैं कि जिस तरह हम 3 महीने तक घर में रह सकते हैं क्या हम उसी तरह प्रत्येक वर्ष केवल एक-दो माह वाहनों का उपयोग ना करें। जिससे हम अपने पर्यावरण और भविष्य दोनों को सुरक्षित कर सकते हैं।








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