ग्रहण
जब प्रकाश की किरणें किसी अपारदर्शी पदार्थ पर पड़ती हैं तो उसकी छाया बन जाती है सूर्य, पृथ्वी एवं चंद्रमा खगोलीय पिंड है। यह तीनों पिंड अपारदर्शी होते हैं। पृथ्वी सूर्य के तथा चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं। इस प्रकार गति करते-करते कभी-कभी पृथ्वी एवं चंद्रमा की परछाई एक दूसरे पर पड़ने लगती है इसे ग्रहण कहते हैं यह दो प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण ।
चलिए दोनों को विस्तार पूर्वक समझते हैं
सूर्य-ग्रहण
चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है। इस प्रकार की परिक्रमा करते हुए कभी-कभी चंद्रमा सूर्य एवं पृथ्वी के बीच एक पंक्ति में आ जाता है ऐसे में चंद्रमा की छाया पृथ्वी के कुछ भाग पर पड़ती है।पृथ्वी के इस भाग से देखने पर चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तथा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस स्थिति को "सूर्यग्रहण" कहते हैं।
जिस स्थान पर चंद्रमा की गहरी छाया पड़ती है। वहां सूर्य बिल्कुल दिखाई नहीं देता, इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं इसके आसपास जहां चंद्रमा की हल्की छाया होती है वहां आंशिक सूर्य ग्रहण होता है
सूर्य ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी के बीच में होता है तथा चंद्रमा का प्रकाशित भाग पृथ्वी से विपरीत दिशा में होता है इसलिए सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या के दिन ही होता है
(यहां ध्यान रखने योग्य बात यह है कि सूर्य ग्रहण प्रत्येक अमावस्या को नहीं होता केवल उसी अमावस्या के दिन होता है जब चंद्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी एक पंक्ति में आ जाते हैं।)
हमें सूर्य-ग्रहण को कभी भी अपनी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए जिससे हमारी आंखों को क्षति पहुंच सकती है।
चंद्र-ग्रहण
पृथ्वी द्वारा सूर्य की एवं चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की निरंतर परिक्रमा करते रहने पर कभी पृथ्वी, सूर्य एवं चंद्रमा के बीच एक पंक्ति में आ जाते है। ऐसे में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इससे चंद्रमा पर सूर्य से आने वाला प्रकाश रुक जाता है और पृथ्वी से चंद्रमा दिखाई नहीं पड़ता इस दशा को चंद्र-ग्रहण कहते हैं।
क्योंकि इस दशा में चंद्रमा का प्रकाशित भाग पृथ्वी की ओर होता है इसीलिए चंद्रग्रहण सदैव पूर्णिमा के दिन ही होता है चंद्र ग्रहण केवल थोड़ी देर के लिए ही होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की गहरी छाया के भाग में आता है तब पृथ्वी की पूरी छाया चंद्रमा पर पड़ती है तथा चंद्रमा बिल्कुल दिखाई नहीं देता इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं।
धीरे-धीरे चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया के भाग में आ जाता है इसे आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं कुछ देर बाद चंद्रमा पृथ्वी की छाया से बाहर आ जाता है तथा चंद्र ग्रहण समाप्त हो जाता है
(सूर्य-ग्रहण की तरह चंद्र-ग्रहण भी प्रत्येक पूर्णिमा के दिन नहीं होता। यह केवल उसी दिन होता है जब सूर्य, चंद्रमा एवं पृथ्वी एक पंक्ति में आ जाते हैं।)
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